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उन्हें पता भी चलें और वह खफा भी न हो
इस एहतियात से क्या मद्दुआ की बात करें?
- साहिर लुधियानवी
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बात बतानी भी है.. बात छुपानी है..
ऐसे किस्से अक्सर अधूरे ही रहते है
हां मगर कुछ नज्में, चंद गजलें मुकम्मल हो जाती है!
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- संदीप मसहूर
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