Monday, June 27, 2011

Hiccups


rrp

बंद हुये थे खत, फोन.. अब तो हिचकी भी नहीं..
दोस्त! इस कदर भी किसी को भूलाना अच्छा नहीं!!
..यह क्या जीना जब तेरी यादों से मर गया हुं मै

rrp

आप हमें अब भी याद किया करते हैं..
- आप ने कहा और हम ने मान भी लिया!
--फिर हिचकियों का सिलसिला क्यूं खत्म हुवा?

rrp

-  संदीप  मसहूर

1 comment:

  1. ये कैसी बेरुखी? मौत से बद्दतर जिन्दगी। शुभकामनाये

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