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सुबह का इंतजार करते रात बिती
- अब दिन भला कैसे बितायें तेरे बगैर
रात अपनी लगती है.. दिन पराया..
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नींद टूटी और दिन शुरू हुवा
ख्वाब की दुनिया पीछे रह गयी
(-सूरज आ भी जावो, देर ना करो !!)
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थी नींद अधूरी.. और ख्वाब भी थे अधूरे..
- सूरज आ ही गया ठीक सवेरे-सवेरे !
(पूरा होगा दिन.. और उस की हकीकत भी !!)
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इक और सुबह, और एक दिन है आगे..
जिंदगी कभी पास आये - कभी दूर भागे !
(जी लो हर एक लम्हा, - यूंही जिंदगी बनती है !!!)
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अक्सर सुना है- सुबह का ख्वाब सच होता है
अगर तुम ने भी यहीं सुना है तो आ जावो!
और कुछ नहीं तो मेरा कहा सुनो और आ जावो !!!
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- संदीप मसहूर
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