Monday, June 27, 2011

सुबह

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सुबह का इंतजार करते रात बिती

- अब दिन भला कैसे बितायें तेरे बगैर

रात अपनी लगती है.. दिन पराया..

 

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नींद टूटी और दिन शुरू हुवा

ख्वाब की दुनिया पीछे रह गयी

(-सूरज आ भी जावो, देर ना करो !!)

 

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थी नींद अधूरी.. और ख्वाब भी थे अधूरे..

- सूरज आ ही गया ठीक सवेरे-सवेरे !

(पूरा होगा दिन.. और उस की हकीकत भी !!)

 

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इक और सुबह, और एक दिन है आगे..

जिंदगी कभी पास आये - कभी दूर भागे !

(जी लो हर एक लम्हा, - यूंही जिंदगी बनती है !!!)

 

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अक्सर सुना है- सुबह का ख्वाब सच होता है

अगर तुम ने भी यहीं सुना है तो आ जावो!

और कुछ नहीं तो मेरा कहा सुनो और आ जावो !!!

 

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-  संदीप  मसहूर

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